बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सियासी घमासान तेज, एजेंडा धर्म, जाति और विकास पर टकराव

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। धर्म, जाति और विकास के मुद्दों पर पार्टियों के बीच टकराव शुरू, गठबंधन और चुनावी एजेंडा भी साफ होने लगा है।

Jul 2, 2025 - 16:25
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सियासी घमासान तेज, एजेंडा धर्म, जाति और विकास पर टकराव
Bihar Election 2025

Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025 :  बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों ने तेजी पकड़ ली है। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद अब सभी राजनीतिक दलों की नजरें पूरी तरह से विधानसभा की सत्ता पर टिकी हुई हैं। एक ओर जहां जनता चुनावी मुद्दों को समझने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडों के साथ मैदान में उतर चुके हैं।

बिहार की राजनीति हमेशा से जाति, धर्म और क्षेत्रीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। इस बार भी कुछ खास बदलाव नहीं दिख रहे, लेकिन चुनावी भाषा और रणनीति में नया मोड़ जरूर देखने को मिल रहा है।

धर्म, जाति और विकास बना चुनावी हथियार

धर्म आधारित राजनीति:

 कुछ दल चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण की रणनीति अपना रहे हैं। खासकर भाजपा जैसे दल हिंदुत्व के एजेंडे को प्रमुखता से उठा रहे हैं, जबकि विपक्षी दल सामाजिक समरसता और धर्मनिरपेक्षता की बात कर रहे हैं।

जातिगत समीकरण:

 बिहार में जाति का प्रभाव हमेशा से चुनावी नतीजों पर भारी रहा है। राजद, जदयू, और कुछ अन्य दलों ने पहले ही जातिगत जनगणना को मुख्य मुद्दा बना लिया है और सामाजिक न्याय की बात जोर-शोर से कर रहे हैं।

विकास की राजनीति:

 वहीं कुछ दल, खासकर नई पार्टियां और युवा नेता बिहार में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं। उनका दावा है कि बिहार को केवल विकास के आधार पर ही आगे बढ़ाया जा सकता है।

चुनावी गठबंधन और समीकरण

बिहार की राजनीति में गठबंधन का खेल हमेशा महत्वपूर्ण रहा है।

  • राजद-कांग्रेस-महागठबंधन एक बार फिर से संगठित नजर आ रहा है।
  • दूसरी ओर, भाजपा और जदयू के बीच की दूरी अब भी साफ दिखाई दे रही है।
  • तीसरी ताकत के रूप में एलजेपी, AIMIM, और अन्य छोटे दल खुद को विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं।

जनता की प्राथमिकताएं क्या होंगी?

बिहार की जनता अब पहले से ज्यादा जागरूक है।

  • युवा वर्ग रोजगार और शिक्षा को प्रमुख मुद्दा मानता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, बिजली, सिंचाई जैसे बुनियादी मुद्दे अब भी हावी हैं।
  • महिलाएं सुरक्षा और स्वावलंबन से जुड़े मुद्दों को लेकर सजग हैं।

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Jitendra Meena Journalist, Editor ( Mission Ki Awaaz )