सवालों में नहीं आते - मीनेश चौहान । mission ki awaaz

शीर्षक - सवालों में नहीं आते
कभी तुमको अगर सोचूँ,
खयालों में नहीं आते।
जवाबों में अगर ढूँढूँ,
सवालों में नहीं आते ।।
शिकायत है तुम्हें हमसे,
कि कर दी देर आने में।
अगर जल्दी चले आते,
हमें अपना बना पाते?
जवाबों में अगर ढूँढूँ,
सवालों में नहीं आते ।।
नहीं आसान था उतना,
कि जितना तुम समझते हो।
सभी पर्दे उठा देते,
महज रुसवाइयाँ पाते ।।
जवाबों में अगर ढूँढूँ
सवालों में नहीं आते।
नहीं थी एक मंजिल जब,
मिलाते राह कैसे हम?
किनारा हम नहीं पाते,
भँवर में आप रह जाते ।।
जवाबों में अगर ढूँढूँ
सवालों में नहीं आते।
कभी तुमको अगर सोचूँ,
खयालों में नहीं आते।
जवाबों में अगर ढूँढूँ,
सवालों में नहीं आते ।।
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मीनेश चौहान ’मीन’✍️
फर्रुखाबाद (उत्तर–प्रदेश)
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