Pahalgam Hindi Quotes : पहलगाम हमले पर लेखकों को पंक्तियां और रचनाएं । Mission Ki Awaaz

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल यानी मंगलवार की दोपहर को आतंकी हमला हुआ है। इस आतंकी हमले ने पूरे देश को हैरान और परेशान कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई । कई लेखक और रचनाकार अपनी कलम / पंक्तियों के माध्यम से अपनी पीड़ा को व्यक्त कर रहे है । उन्हीं रचनाकारों की पंक्तियों को हमने सहेजा है और आपके लिए लेकर आए है ।
शीर्षक - पहलगाम का हमला
फिर लहू से भीग गई, वादी की हर शाम,
पहलगाम ने फिर देखा, वहशीपन सरेआम।
शांति के सपनों को छलनी कर गए,
मासूमों की सांसों को वे छीन कर गए।
ना धर्म था, ना मानवता, ना कोई विधान,
बस बिखरा था हर ओर, लहू का बयान।
जिनकी ज़िन्दगी में थी बस पूजा की बात,
उन्हें मिला गोलियों का सौगात।
आतंक की आँधी में बह गया श्रृंगार,
फूलों की घाटी रोई, छिप गया त्यौहार।
पर याद रखो ऐ दुश्मनों के दलाल,
हर आँसू बनेगा अब प्रतिशोध की चाल।
जिन्हें तुमने मारा, वो दीप बनेंगे,
हर कोने में अब तुम्हारे खिलाफ जलेंगे।
कश्मीर की वादियाँ कहती हैं सच्चे स्वरों में,
शहीदों का लहू व्यर्थ न जाएगा इन पहरों में।
– डॉ. ऋषिका वर्मा, गढ़वाल उत्तराखंड
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घूंट यह कलेजे से उतारा न जाएगा।
खुद को बिल्कुल संवारा न जाएगा।
दिल को शांति तब तक मिलेगी नहीं,
जब तक हर आतंकी मारा न जाएगा।
– अनुमानुषी
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निंदनीय रहा कृत्य, दनुज-दैत्य हत्यारे
क्रूर-कुटिल अपराधी, पापी कातिल सारे ।
वार निहतथों पऱ करके, भागे हो चोरों से,
शूरवीर से लड़ते, पल में जाते मारे ।।
– डॉ नीरज अग्रवाल `नंदिनी `
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गीदड़भभकी नहीं, कदम कुछ ठोस उठाना होगा।
मिली वीरगति जिनको, उनको न्याय दिलाना होगा।
बहुत सहिष्णुता हुई, दिखाया भाईचारा हमने-
अरि जो सम्मुख खड़ा, उसे बल-शौर्य दिखाना होगा।
– रूणा रश्मि 'दीप्त'
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सहन नहीं अब देश को, बेटों का बलिदान।
नौ के बदले शीश सौ, मांगे हिंदुस्तान।।
– दीप्ति सक्सेना
बदायूं, उत्तरप्रदेश।
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जग के जीवन से, हार गये, प्रभु आओ।
करुणा दृष्टि वरो , राघव, देश बचाओ।
भुवि का वक्ष हरा, रंजित रक्त हुआ क्यों?
हर धर्मी कटुता, आज मनुष्य बनाओ।
– मीरा भारती
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आज शायद खूबसूरती पर अपनी काश्मीर भी रोता है
अपनी हसीन वादियों का बोझ वो हर पल ढोता है
लड़ाई तख़्तों की हो या जंग हो कुर्सियों की
सियासतों का रंग तो बस बेगुनाह लहू ही होता है
– अपर्णा विजय
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नवजीवन के स्वर्णिम कल की लड़ी पिरोए थे।
जगह मनोहर पहेलगाम की दोनों खोए थे।
भेंट चढ़ गईं खुशियां जिनकी पूछो उन पर क्या गुजरी
मौन हुआ है वो जिसके संग स्वप्न संजोए थे।।
– पिंकी अरविन्द प्रजापति
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कश्मीर को जो अपनी विरासर बता रहे
जन्नत जिसे कहें, उसे दोज़ख बना रहे
पानी तो पानी साँस भी अब उनकी रोक दो
मज़हब जो पूछ-पूछ के गोली चला रहे ।।
– त्रिशिका धरा
यह पंक्तियां और रचनाओं का प्रकाशन निम्न लेखकों के भेजने पर हुआ है, अगर इनमें किसी प्रकार की त्रुटि या विवाद है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं लेखक / लेखिका की है । पहलगाम हमले पर चार लाइन पंक्तियां और दो लेकिन पंक्तियां और रचनाओं का प्रकाशन मिशन की आवाज के संपादक जीतेंद्र मीना के द्वारा यहां किया गया है । Pahalgam Hindi Quotes | Pahalgam Poetry | Pahalgam Four Line Hindi Quotes |
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