नवल नागरी: फौजी से फकीर तक का सफर, जहां वर्दी की जगह ली भगवे ने
पूर्व सैनिक नवल नागरी ने सेना की नौकरी छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाया। जानिए कैसे एक वीर जवान बना बाबा प्रेमानंद महाराज का समर्पित शिष्य।
नवल नागरी ( Naval Nagari ) : पंजाब के पठानकोट से ताल्लुक रखने वाले नवल नागरी का जीवन एक अद्भुत परिवर्तन की मिसाल है। भारतीय सेना में एक दशक से भी अधिक समय तक देश की सेवा करने वाले इस सैनिक ने जब आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया, तो हर कोई चौंक गया।
वर्ष 2008 से 2019 तक उन्होंने भारतीय सेना में बतौर सैनिक सेवा दी। 2016 में जब वे करगिल में तैनात थे, उसी दौरान छुट्टी के दौरान वृंदावन पहुंचे। यहीं उनकी मुलाकात हुई बाबा प्रेमानंद जी महाराज से — एक ऐसी भेंट जिसने उनका जीवन ही बदल दिया।
सत्संग में प्रेम और भक्ति की जो अनुभूति उन्हें हुई, उसने उनके भीतर गहराई से काम किया। कुछ ही समय बाद उन्होंने तय किया कि अब वे शस्त्र नहीं, शास्त्र उठाएंगे। 2017 में उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया और बाबा की शरण में आ गए।
लोगों की सोच से परे था यह निर्णय
जब नवल नागरी ने सेना की नौकरी छोड़ी, तो रिश्तेदारों और परिचितों को यह फैसला बिल्कुल समझ नहीं आया। एक सम्मानजनक और स्थिर करियर को छोड़कर साधु जीवन अपनाना आसान नहीं था — न समाज के लिए, न ही परिवार के लिए।
पर नवल नागरी का उत्तर स्पष्ट था:
"सेवा छोड़ी नहीं, बस दिशा बदल दी है। पहले देश के लिए लड़ता था, अब गुरु के चरणों में जीवन समर्पित है।"
गुरु सेवा ही अब धर्म है :
आज नवल नागरी प्रेमानंद महाराज ( Premanand Maharaj ji ) के सबसे निकटतम शिष्यों में गिने जाते हैं। मंच पर गुरु के साथ दिखाई देना हो या भक्तों की सेवा में जुटना — वे हर भूमिका को पूरी निष्ठा से निभाते हैं।
उनका सैन्य अनुशासन आज आध्यात्मिक सेवा में झलकता है। शांत स्वभाव, संयमित जीवनशैली और गहरी भक्ति उन्हें दूसरों से अलग बनाती है।
एक प्रेरणा बन चुके हैं नवल नागरी
उनकी कहानी उन हजारों युवाओं को प्रेरित करती है जो जीवन में उद्देश्य खोज रहे हैं। नवल नागरी यह सिखाते हैं कि सच्ची सेवा केवल सीमा पर नहीं होती, बल्कि उस आत्मिक पथ पर भी होती है जहां मनुष्य खुद से जुड़ता है और परमात्मा से मिलन की ओर बढ़ता है।
यदि आप भी जीवन में किसी नई राह की तलाश में हैं, तो नवल नागरी की यह यात्रा आपको भीतर झांकने की प्रेरणा दे सकती है।
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