झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, मुख्य सचिव को कोर्ट में पेश होने का आदेश
झारखंड हाई कोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में देरी पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि राज्य में कानून का शासन खत्म हो चुका है और मुख्य सचिव अलका तिवारी को 25 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया।

रांची: झारखंड में नगर निकाय चुनावों में हो रही देरी को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को गंभीर लहजे में फटकार लगाई है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि राज्य में कानून का शासन खतरे में है और संवैधानिक ढांचा चरमरा गया है।
न्यायमूर्ति आनंद सेन ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी को 25 जुलाई 2025 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। यह आदेश, हाई कोर्ट के पूर्व निर्देशों की अवहेलना को लेकर जारी किया गया है।
यह मामला पूर्व वार्ड पार्षद रोशनी खालको द्वारा दायर अवमानना याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि झारखंड सरकार हाई कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद नगर निकाय चुनाव नहीं करा रही है। गौरतलब है कि झारखंड हाई कोर्ट ने 4 जनवरी 2024 को सरकार को तीन सप्ताह के भीतर चुनाव कराने का निर्देश दिया था, जिसे अब तक लागू नहीं किया गया।
रोशनी खालको ने यह याचिका 2023 में उस समय दाखिल की थी, जब नगर निकाय प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया था। इसके बाद, 16 जनवरी 2024 को उन्होंने एक अवमानना याचिका दायर की, जिसमें कोर्ट के आदेशों की अनदेखी का जिक्र किया गया। कोर्ट ने इसके बाद सरकार को चार महीने के अंदर चुनाव संपन्न कराने का एक और आदेश जारी किया था।
झारखंड में अंतिम नगर निकाय चुनाव अप्रैल 2018 में हुआ था, और तब से अब तक चुनाव नहीं कराए गए हैं। इस गंभीर लापरवाही पर कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार की कार्यशैली राज्य में लोकतंत्र और कानून के शासन को कमजोर कर रही है।
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