उत्तरकाशी के पत्रकार राजीव प्रताप की संदिग्ध मौत: भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग के बाद मिली थीं धमकियां
उत्तरकाशी के पत्रकार राजीव प्रताप की संदिग्ध मौत। भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग के बाद मिली धमकियां। भागीरथी नदी में मिला शव। पुलिस जांच शुरू।

उत्तरकाशी ( Rajeev Pratap Journalist Death ) : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पत्रकार राजीव प्रताप (38) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 10 दिन तक लापता रहने के बाद रविवार, 28 सितंबर को भागीरथी नदी के जोशियारा बैराज के पास उनका शव बरामद हुआ। राजीव की पत्नी मुस्कान ने आरोप लगाया है कि सरकारी भ्रष्टाचार पर उनकी एक खोजी रिपोर्ट के बाद उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। पुलिस ने मामले की जांच तेज कर दी है, लेकिन परिवार और स्थानीय पत्रकार इसे पत्रकारिता की आजादी पर हमला मान रहे हैं।
लापता होने से पहले मिली थीं धमकियां
राजीव प्रताप, जो अपने यूट्यूब चैनल 'दिल्ली-उत्तराखंड लाइव' के जरिए क्षेत्र की समस्याओं को उजागर करते थे, 16 सितंबर को अचानक लापता हो गए थे। उस रात 11 बजे उनकी पत्नी मुस्कान से फोन पर आखिरी बात हुई थी। मुस्कान के अनुसार, राजीव ने बताया कि उत्तरकाशी जिला अस्पताल और एक स्थानीय स्कूल की अनियमितताओं पर उनकी हालिया रिपोर्ट के बाद कुछ लोग उन्हें धमकी दे रहे थे। "वह परेशान थे। कह रहे थे कि लोग फोन करके वीडियो हटाने की धमकी दे रहे हैं, नहीं तो जान से मार देंगे," मुस्कान ने बताया। इसके 50 मिनट बाद उनका फोन बंद हो गया, और भेजा गया मैसेज डिलीवर नहीं हुआ।
नदी में मिली कार, फिर शव
परिवार ने उसी दिन उत्तरकाशी कोतवाली में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि राजीव एक निष्पक्ष पत्रकार थे और उनकी खबरों की वजह से कुछ लोग उनसे नाराज थे। अगले दिन भागीरथी नदी के किनारे राजीव की कार बरामद हुई, जिसमें उनका एक चप्पल मिला, लेकिन राजीव का कोई सुराग नहीं था। पुलिस ने सघन तलाशी शुरू की और आखिरकार 28 सितंबर को जोशियारा बैराज के पास नदी में एक शव मिला, जिसकी पहचान परिवार ने राजीव के रूप में की।
रिपोर्ट जो बनी मुसीबत
मुस्कान ने बताया कि 16 सितंबर को राजीव ने अपने यूट्यूब चैनल पर उत्तरकाशी जिला अस्पताल में कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला एक वीडियो अपलोड किया था। इस वीडियो में अस्पताल प्रशासन की अनियमितताओं का जिक्र था, जिसके बाद से उनकी मुश्किलें बढ़ गई थीं। "वह हमेशा सच के लिए लड़ते थे। लेकिन इस बार शायद उनकी हिम्मत किसी को नागवार गुजरी," मुस्कान ने आंसुओं के बीच कहा।
पुलिस जांच और सवाल
उत्तरकाशी पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सभी पहलुओं की पड़ताल की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। दूसरी ओर, स्थानीय पत्रकार संगठनों ने इस घटना को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
परिवार का दर्द और सवाल
राजीव के परिवार का कहना है कि उनकी मौत कोई हादसा नहीं, बल्कि साजिश का नतीजा हो सकती है। "वह एक जुझारू पत्रकार थे। अगर उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई है, तो दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए," परिवार के एक सदस्य ने कहा। इस घटना ने उत्तराखंड में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर फिर से बहस छेड़ दी है। लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या सच बोलने की कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है? पुलिस की जांच और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से इस मामले में और स्पष्टता की उम्मीद है।
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