धीरज वर्मा प्रकरण: पांच दिन बाद जयपुर SMS मोर्चरी पर धरना समाप्त, प्रशासन और परिजनों में बनी सहमति
नवोदय विद्यालय छात्र धीरज वर्मा की संदिग्ध मौत के विरोध में चल रहा धरना प्रशासन से सहमति बनने के बाद खत्म, 6 बिंदुओं पर बनी सहमति।
जयपुर। राजस्थान के सीकर जिले के पाटन थाना क्षेत्र स्थित नवोदय विद्यालय में कक्षा 10 के छात्र धीरज वर्मा की संदिग्ध मौत के विरोध में चल रहा धरना आज समाप्त हो गया। जयपुर के एस.एम.एस. अस्पताल मोर्चरी पर बीते पांच दिनों से मृतक के परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा न्याय की मांग को लेकर चल रहे धरने का आज, 19 अक्टूबर 2025, को समापन हुआ।
धरना उस समय शुरू हुआ था जब परिजनों ने आरोप लगाया कि धीरज की मौत सामान्य नहीं बल्कि बर्बरता से हुई मारपीट का नतीजा है। लगातार पांच दिन तक चले इस शांतिपूर्ण और संवेदनशील आंदोलन के बाद, प्रशासन, सामाजिक कार्यकर्ताओं और परिजनों के बीच आपसी वार्ता से छह प्रमुख सहमति बिंदु तय किए गए, जिनके आधार पर धरना समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
सहमति के प्रमुख बिंदु:
- 15 दिन के भीतर आरोपियों की गिरफ्तारी और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाएगी।
- मृतक परिवार के एक सदस्य को संविदा पर सरकारी नौकरी प्रदान की जाएगी।
- नवोदय एलुमनाई संघ द्वारा आर्थिक सहायता (मुआवजा) दी जाएगी।
- जांच को प्रभावित कर सकने वाले शिक्षकों का तत्काल स्थानांतरण किया जाएगा।
- धीरज वर्मा के छोटे भाई की शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और एलुमनाई संघ उठाएंगे।
- जिम्मेदार शिक्षकों पर विभागीय कार्यवाही या निलंबन होगा।
आंदोलन की चेतावनी
धरने पर बैठे परिजनों और सामाजिक प्रतिनिधियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इन बिंदुओं पर निर्धारित समयसीमा में ठोस कार्यवाही नहीं होती, तो आंदोलन दोबारा शुरू किया जाएगा, और यह पूरी तरह संवैधानिक और शांतिपूर्ण होगा।
समापन वार्ता के दौरान जयपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश, नवोदय विद्यालय के एडिशनल कमिश्नर डॉ. अजय कुमार और नीमकाथाना के जिला प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।
इस पूरे घटनाक्रम पर सामाजिक कार्यकर्ता गीगराज जोड़ली ने कहा,
"हम सब जानते हैं कि तानाशाही प्रवृत्ति वाली सरकारों के सामने इस तरह का धरना कोई साधारण बात नहीं होती। यह एक साहसिक और संघर्षपूर्ण कदम है, जिसे समझदार लोग गंभीरता से समझते हैं। झालावाड़ स्कूल प्रकरण से लेकर IPS पूरण मल जैसे मामलों तक, यह साफ है कि संवेदनशीलता की कमी के दौर में धरना ही आखिरी उम्मीद है।"
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