पानी मांगा, पैर तोड़ दिए गए : सूरज माली को अब तक नहीं मिला न्याय, सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग

कपासन: विधायक से वादा याद दिलाने पर सूरज माली पर हुआ जानलेवा हमला। गहलोत ने CM से की दोषियों पर कार्रवाई और इलाज की अपील।

Sep 22, 2025 - 22:15
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पानी मांगा, पैर तोड़ दिए गए : सूरज माली को अब तक नहीं मिला न्याय, सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग
अस्पताल में भर्ती सूरज माली

कपासन, राजस्थान । कपासन के धोबी खेड़ा गांव के युवक सूरज माली को सिर्फ इसलिए बर्बर हिंसा का शिकार होना पड़ा क्योंकि उसने स्थानीय विधायक से उनके चुनावी वादे की याद दिलाई। पानी जैसी बुनियादी ज़रूरत को लेकर सवाल पूछने की "सजा" सूरज को 25 फ्रैक्चर के रूप में मिली — और आज तक इस मामले में न्याय की उम्मीद अधूरी है।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को सूरज माली के समर्थन में दिए जा रहे धरने में शामिल हुए। उन्होंने परिजनों से मुलाकात की और कहा, "पानी मांगना कोई अपराध नहीं है। सूरज ने केवल वादा याद दिलाया था। उसके साथ जो हुआ, वह अत्यंत निंदनीय है।"

गहलोत ने की CM से मांग

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मांग की कि सूरज माली के मामले को "स्पेशल केस" के तौर पर देखा जाए। उन्होंने कहा कि:

  • सूरज को सरकारी खर्च पर मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाए
  • पीड़ित को उचित मुआवजा दिया जाए
  • दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए

क्यों हुआ सूरज माली पर हमला?

सूरज माली पिछले कुछ समय से इंस्टाग्राम के माध्यम से मातृकुंडिया बांध से कपासन तालाब में पानी लाने की मांग कर रहा था। उसके वीडियो खास तौर पर विधायक अर्जुनलाल जीनगर को संबोधित थे, जिसमें उसने क्षेत्र में गंभीर जलसंकट की ओर ध्यान दिलाया और चुनावी वादों को पूरा करने की बात कही।

इन वीडियो के बाद सूरज को लगातार धमकियां मिलने लगीं। और आखिरकार उस पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें उसके दोनों पैरों की हड्डियां तोड़ दी गईं।

अहमदाबाद में भर्ती, वहां भी सुरक्षा खतरे में - 

सूरज माली इस समय गंभीर हालत में अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह भी बताया कि वहां भी सूरज की सुरक्षा को लेकर एफआईआर दर्ज करानी पड़ी है।

सवाल यह है कि क्या लोकतंत्र में एक आम नागरिक को पानी जैसी बुनियादी जरूरत पूछने के लिए अपने पैरों की कुर्बानी देनी पड़ेगी? सूरज माली के साथ जो हुआ, वह केवल एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि पूरे लोकतंत्र पर हमला है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेती है या फिर सूरज भी न्याय की लंबी कतार में खो जाएगा।

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Jitendra Meena Journalist, Editor ( Mission Ki Awaaz )