मानसून विदाई के बाद डेंगू का खतरा बढ़ा, अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या में उछाल

मानसून के जाते ही डेंगू ने तेजी से अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। शहर में जगह-जगह जमा पानी और बढ़ता तापमान मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे उपयुक्त वातावरण तैयार कर रहा है। इसी कारण डेंगू के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। केवल एसएमएस और जेके लोन अस्पताल में ही पिछले तीन दिनों में 37 से अधिक मरीज भर्ती हुए हैं, जिनमें से 7 आईसीयू में गंभीर हालत में हैं। इसके अतिरिक्त गणगौरी, कांवटिया, महिला जनाना और आरयूएचएस जैसे प्रमुख अस्पतालों में 50 से ज्यादा, जबकि निजी अस्पतालों में भी लगभग इतने ही केस सामने आए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मौसम एडीज एजिप्टी मच्छरों के प्रसार के लिए बेहद अनुकूल होता है, जिससे डेंगू संक्रमण तेजी से फैलता है। हालांकि सरकारी रिकॉर्ड में जनवरी से अब तक केवल 130 से अधिक केस दर्ज हैं, वास्तविक आंकड़े इससे कहीं अधिक हो सकते हैं। इसका मुख्य कारण है कि कई निजी और कुछ सरकारी अस्पताल विभाग को डेटा नहीं भेजते, जिससे सटीक स्थिति का आकलन नहीं हो पाता और नियंत्रण की रणनीति कमजोर पड़ जाती है।
चिंताजनक बात यह है कि अभी तक शहर में फोगिंग की शुरुआत नहीं हुई है, जबकि चिकित्सा विभाग और नगर निगम को पहले ही कदम उठाने चाहिए थे। पिछले वर्षों में लापरवाही के चलते डेंगू के कारण कई मौतें हुई थीं। विभाग के अनुसार इस वर्ष अब तक मलेरिया के 65, चिकनगुनिया के 76, स्वाइन फ्लू के 21, ब्रुसेलोसिस के 124 और लैप्टोस्पायरोसिस के 54 केस दर्ज किए गए हैं।
डॉक्टर बताते हैं कि डेंगू के लक्षण संक्रमण के 4 से 10 दिनों में दिखाई देते हैं, जिनमें तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, उल्टी, कमजोरी और भूख न लगना शामिल हैं। गंभीर मामलों में प्लेटलेट्स का स्तर खतरनाक रूप से गिर जाता है, जिससे आंतरिक रक्तस्राव और अंगों को नुकसान हो सकता है।
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