"मोहमद साहब एक महान मानवतावादी इंसान थे" चेतन बैरवा
सुप्रीम कोर्ट लॉयर, एडवोकेट चेतन बैरवा का कहना है कि पैगंबर मोहम्मद एक महान मानवतावादी इंसान थे जिन्होंने कहा कि मजदूर को उसकी मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले मिल जानी चाहिए । जबकि हिंदुओ की पुस्तक मनु स्मृति कहती है कि शूद्रों ( sc st obc ) का एक मात्र काम पहले तीन वर्ण के लोगो की मुफ्त में सेवा करने का है । तो इन हालातो में इंडिया के sc st obc के लोग जिनको मनु स्मृति ने मुफ्त के मजदूर बनाकर रख छोड़ा है वो इस्लाम की तरफ क्यों नही आकर्षित होंगे । इसलिए यह कहना गलत है कि इस्लाम इंडिया में ताकत के बल पर फैला है । अगर यही सब करना होता तो मुसलमानो ने भारत पर लगभग आठ सो साल के राज किया है , वो भारत को कभी का मुस्लिम राष्ट्र बना चुके होते । कमियां तो हिंदू धर्म मे खुद में हैं और इल्जाम इस्लाम पर लगाते हैं , ठीक वैसे ही जैसे कि एक नासमझदार आदमी आइने को तो बार बार साफ करता है लेकिन इस बात पर ध्यान ही नही देता कि गंदगी उसके चेहरे पर ही जमी हुई है । आज भी मोदी की बीजेपी सरकार भारत को फिर से वर्ण व्यवस्था पर आधारित , मनुवाद पर आधारित हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है । एससी एसटी ओबीसी के लोग मनु स्मृति को पढ़कर देख ले , जो बाते मनु स्मृति में हैं वही सब बाते मोदी सरकार के दिल और दिमाग में छाई हुई है । मोदी संविधान को तो बदल नही सकता क्योंकि उसे डर है कि कहीं इंडिया में ग्रह युद्ध ना छिड़ जाए लेकिन वह संविधान में ही मनु स्मृति को घुसाने का काम करता रहता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया था कि भारतीय चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में प्रधान मंत्री , नेता विपक्ष तथा भारत के मुख्य न्याधीश तीनों की सहमति ली जाएगी ताकि मेजोरिटी वाली सहमति से नियुक्ति की जा सके । लेकिन मोदी सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर उसमे से भारत के मुख्य न्याधीश की सहमति को अनिवार्य नहीं मान कर उसमे केंद्र सरकार के ही एक मंत्री की सहमति को अनिवार्य बना दिया है । ताकि केंद्र सरकार को चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में मनमानी करने का मोका मिल जाय । बिना एग्जाम पास किए संविधान में आईएएस बनाने का कोई प्रधान नही है लेकिन मोदी सरकार ने बिना एग्जाम पास किए आईएएस बनाना शुरू कर दिया है । यह संविधान में मनुस्मृति घुसाना ही तो हुआ और क्या हुआ ।
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