मेरी इस सफेद वर्दी पर दाग बहुत है, चिकित्साकर्मियों को समर्पित…
मेरी इस सफेद वर्दी पर दाग बहुत है,
जुल्म का तो पता नहीं पर इल्जाम बहुत है।
फरिश्ता कहता है वह मरीज मुझे.. जब ठीक हो जाता है, पर काम अगर बिगड़ जाए तो, बदनाम करने वालों के भी नाम बहुत है।
मेरी इस सफेद वर्दी पर दाग बहुत है..
नहीं झिझकता है वह परिजन, एक पल में हाथ उठाने से, दो पल पहले ही जिसने मुझे फरिश्ता बना दिया था।
लोगों को लगता है कि दिन भर बस बैठा रहता हूं मैं, पर इंजेक्शन लगाने के अलावा मेरे पास काम बहुत है।
मेरी सफेद वर्दी पर दाग बहुत हैं..
अरे ना बनाओ तुम मुझे फरिश्ता, पर मेरे आत्मसम्मान के साथ ना खेलो।
4 साल की कड़ी मेहनत करके सीखा है मैंने यह तजुर्बा,
कोई फर्जी डिग्री नहीं है जो तुम मुफ्त में ले लो।
मरते हुए हर एक की धड़कन का हिसाब रखता हूं मैं, कभी रात में इमरजेंसी में ड्यूटी लगा कर तो देखो..
मानवता की सेवा करना कर्तव्य है मेरा, काँपते हुए हाथों का सहारा हूं मैं, अपने दर्द को भूल कर तुम्हारी चोटों पर मरहम लगाता हूं मैं,
पर मेरी रूह पर भी चोटों के निशान बहुत हैं।
मेरी इस सफेद वर्दी पर दाग बहुत हैं..
जुल्म का तो पता नहीं पर इल्जाम बहुत हैं, यूं तो चिकित्साकर्मी लगता है मेरे नाम के आगे भी,
पर शक्ति संघर्ष चुनौतियों के पहाड़ बहुत है।
मेरी इस सफेद वर्दी पर दाग बहुत हैं.. जुल्म का तो पता नहीं पर इल्जाम बहुत हैं…..
चिकित्साकर्मी की कलम से..✒️
What's Your Reaction?