राजस्थान की सियासत में फिर गूंजा वसुंधरा राजे का नाम, नारों से बढ़ी सियासी सरगर्मी
राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। वसुंधरा राजे के स्वागत में लगे नारों ने भाजपा के भीतर उठते असंतोष और नेतृत्व को लेकर नए सियासी संकेत दिए हैं। जानिए पूरी खबर।

जयपुर/अजमेर: राजस्थान की राजनीति एक बार फिर से गरमाने लगी है। बीते दिनों कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान—जिसमें उन्होंने मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के खिलाफ कथित षड्यंत्र की बात कही थी—से सियासी हलचल मची हुई थी। अब उसी माहौल के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के स्वागत में लगे नारों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर और सियासी गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
वसुंधरा राजे के स्वागत में लगे नारों से गरमाई भाजपा की राजनीति
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हाल ही में पूर्व मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जयपुर से अजमेर पहुंचीं। जैसे ही वे अजमेर पहुंचीं, कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और जोरदार नारे लगाए:
- “हमारी सीएम कैसी हो? वसुंधरा राजे जैसी हो!”
- “केसरिया में हरा-हरा, राजस्थान में वसुंधरा!”
इन नारों ने राजस्थान भाजपा के भीतर संभावित सत्ता संघर्ष की अटकलों को हवा दे दी है।
( Photo : वसुंधरा राजे )
क्या फिर लौटेगा वसुंधरा राजे का दौर?
राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे एक मजबूत और लोकप्रिय चेहरा रही हैं। हालांकि 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था। लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अब भी वसुंधरा राजे की लोकप्रियता बनी हुई है, और यह बात इन नारों से साफ झलक रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम सिर्फ एक स्वागत समारोह नहीं, बल्कि एक सियासी संकेत हो सकता है। इसे गहलोत के बयान और भाजपा के अंदरूनी समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है।
गहलोत के षड्यंत्र वाले बयान से जुड़ रही है कड़ी
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले अशोक गहलोत ने दावा किया था कि भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे एक "राजनीतिक षड्यंत्र" था, जो भाजपा के अंदर ही रचा गया था। अब वसुंधरा राजे के समर्थन में उठी आवाजों को उसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
भाजपा के अंदर भी कई नेता अब खुलकर यह कह रहे हैं कि कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए और पार्टी को उन नेताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए जो जनाधार रखते हैं।
राजस्थान की सियासत में बदलाव के संकेत?
इन घटनाओं को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राजस्थान की सियासत फिर से पुराने रंग में लौटने की ओर है।
- क्या वसुंधरा राजे की वापसी की भूमिका तैयार हो रही है?
- क्या भाजपा में नेतृत्व को लेकर कोई अंदरूनी असंतोष है?
- क्या यह सब आगामी लोकसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा है?
इन सभी सवालों के जवाब अभी समय के गर्भ में हैं, लेकिन यह तय है कि वसुंधरा राजे का नाम एक बार फिर से राजस्थान की राजनीति के केंद्र में है।
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