करौली आयुर्वेद विभाग में 73.14 लाख का वेतन घोटाला, निलंबित कनिष्ठ सहायक मुकेश शर्मा गिरफ्तार
करौली आयुर्वेद विभाग में 73.14 लाख रुपए के वेतन फिक्सेशन घोटाले का खुलासा हुआ है। निलंबित कनिष्ठ सहायक मुकेश शर्मा गिरफ्तार, फर्जी बिलों के जरिए राशि ट्रांसफर की गई। पुलिस जांच जारी।

करौली, राजस्थान – करौली जिले के आयुर्वेद विभाग में हुए 73.14 लाख रुपए के वेतन फिक्सेशन घोटाले का पर्दाफाश हो गया है। इस मामले में मुख्य आरोपी निलंबित कनिष्ठ सहायक मुकेश कुमार शर्मा (48) को पुलिस ने करौली बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले इसी मामले में सह-आरोपी सुरेशचंद मीना को भी पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। दोनों आरोपियों पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वेतन में हेराफेरी कर सरकारी धन की गबन करने का आरोप है।
ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा
यह मामला तब सामने आया जब विभाग से सेवानिवृत्त हुए तीन कर्मचारियों – बाबूलाल बैरवा, राजेन्द्र शर्मा और महेश गुप्ता – को आयकर विभाग से बड़े रकम के नोटिस मिले। इन नोटिसों में उनके खातों में आए लाखों रुपए का हिसाब मांगा गया था, जबकि इन कर्मचारियों को ऐसी कोई अतिरिक्त राशि मिली ही नहीं थी।
चौंककर कर्मचारियों ने जब इस बारे में पड़ताल की और थाना कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई, तो मामले की तह तक जाने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
फर्जी बिलों के ज़रिए की गई हेराफेरी
पुलिस जांच में सामने आया कि मुकेश शर्मा और सुरेशचंद मीना ने सातवें वेतन आयोग के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वेतन फिक्सेशन में हेराफेरी की। इन्होंने फर्जी बिल तैयार किए और उन बिलों के आधार पर भुगतान की राशि अपने तथा अपने करीबियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करवा ली।
बैंक स्टेटमेंट और ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड की जांच में स्पष्ट हुआ कि यह रकम असली लाभार्थियों तक नहीं पहुंची, बल्कि सीधे आरोपियों और उनके साथियों के खातों में डाली गई थी।
पुलिस रिमांड पर भेजा गया आरोपी
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपी मुकेश कुमार शर्मा से पूछताछ की, जिसमें उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। अदालत में पेशी के बाद उसे चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। पुलिस अब अन्य संलिप्त कर्मचारियों और खाताधारकों की पहचान करने तथा गबन की गई पूरी राशि की बरामदगी की दिशा में कार्य कर रही है।
करौली पुलिस अधीक्षक के अनुसार, यह घोटाला विभागीय मिलीभगत और सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया है। यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस हेराफेरी में अन्य वरिष्ठ अधिकारी या बैंककर्मी भी शामिल थे।
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