Naresh Meena : सात बच्चों की मौत के बाद धरना दे रहे नरेश मीणा गिरफ्तार, 8 अगस्त तक न्यायिक हिरासत
झालावाड़ के पीपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत और 28 घायल। धरना देने पर नरेश मीणा गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजे गए। जानें हादसे, धरने और मांगों से जुड़ी पूरी जानकारी।

झालावाड़ (राजस्थान) - राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना क्षेत्र के पीपलोदी गांव में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की दर्दनाक मौत और 28 के घायल होने के बाद पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया है। हादसे के विरोध में कई सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इसी क्रम में टोंक से पूर्व निर्दलीय विधायक प्रत्याशी नरेश मीणा ने भी हादसे के पीड़ित परिवारों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन किया।
धरना स्थल बना विवाद का केंद्र
25 जुलाई को नरेश मीणा ने अपने समर्थकों के साथ झालावाड़ के SRG मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड के सामने धरना दिया। इस दौरान नारेबाजी की गई और एम्बुलेंस सहित इमरजेंसी सेवाओं में बाधा पहुंचाने का आरोप भी लगा। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय पोरवाल और अधीक्षक डॉ. अशोक शर्मा की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मीणा और उनके सहयोगियों के खिलाफ केस दर्ज किया।
गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत
झालावाड़ पुलिस ने नरेश मीणा और हिस्ट्रीशीटर प्रदीप उर्फ गोलू को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद अदालत ने दोनों को 8 अगस्त 2025 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मीणा के दो अन्य समर्थकों को भी हिरासत में लिया गया है।
FIR में लगे ये गंभीर आरोप
पुलिस ने नरेश मीणा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 121(1) (सरकारी कार्य में बाधा), धारा 132 (अभद्र व्यवहार) और धारा 352 (उपद्रव) के तहत मामला दर्ज किया है। FIR के अनुसार, प्रदर्शन के चलते अस्पताल की आपात सेवाएं बाधित हुईं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी हुई।
नरेश मीणा का बयान
गिरफ्तारी के बाद पुलिस हिरासत में नरेश मीणा ने कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ हादसे के पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाना था। उन्होंने सरकार से तीन मुख्य मांगें रखी थीं:
- मृतक बच्चों के परिजनों को ₹1 करोड़ का मुआवजा
- घायलों को ₹50 लाख की सहायता राशि
- पीड़ित परिवारों को संविदा पर सरकारी नौकरी
मीणा ने कहा कि वह अपनी “जन क्रांति यात्रा” छोड़कर विशेष रूप से पीड़ितों के समर्थन में झालावाड़ पहुंचे थे, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं की।
What's Your Reaction?






