भारत बंद 2025: श्रमिक संगठनों और राजनीतिक दलों का संयुक्त प्रदर्शन, बिहार में चक्का जाम
भारत बंद 2025 के तहत केंद्रीय श्रमिक संगठनों और विपक्षी दलों ने देशभर में हड़ताल का आह्वान किया। बिहार में महागठबंधन ने चक्का जाम किया और पप्पू यादव रेलवे ट्रैक पर उतरे। जानें पूरी जानकारी, मांगें और राज्यों पर असर।

Bharat Bandh : 9 जुलाई 2025 को भारत एक बार फिर देशव्यापी हड़ताल और विरोध-प्रदर्शन का गवाह बना। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ केंद्रीय श्रमिक संगठनों और विभिन्न राजनीतिक दलों ने मिलकर भारत बंद का आह्वान किया है। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में मज़दूर संगठन, किसान संगठन, छात्र संगठन और विपक्षी दल शामिल हैं। वहीं बिहार में महागठबंधन के समर्थन से चक्का जाम की स्थिति बन गई है। प्रदर्शनकारी सड़कों और रेल ट्रैक पर उतर आए हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है।
भारत बंद 2025 की प्रमुख मांगे और कारण:
संगठनों द्वारा उठाई गई मुख्य मांगे इस प्रकार हैं:
- महंगाई पर नियंत्रण
- श्रम सुधार कानूनों की वापसी
- निजीकरण पर रोक
- मनरेगा बजट में बढ़ोतरी
- असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा
- न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल और जवाबदेही की मांग
प्रमुख श्रमिक संगठन जो हड़ताल में शामिल हैं:
इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में कुल 11 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनें शामिल हैं:
- इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)
- ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)
- हिंद मजदूर सभा (HMS)
- सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU)
- ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC)
- ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC)
- सेल्फ एम्प्लॉयड विमेंस एसोसिएशन (SEWA)
- ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU)
- लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF)
- यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC)
- बीएमएस को छोड़कर सभी अन्य केंद्रीय यूनियनें
बिहार में हालात सबसे गंभीर, पप्पू यादव रेलवे ट्रैक पर
बिहार में ‘महागठबंधन’ के नेतृत्व में व्यापक चक्का जाम देखने को मिला। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ सचिवालय हॉल्ट रेलवे स्टेशन पहुंचकर रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा:
“हम चुनाव आयोग को नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने देश के गरीबों का जीवन बर्बाद कर दिया है। ये आंदोलन सिर्फ सड़कों का नहीं, व्यवस्था की क्रांति का है।”
उनके साथ बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद थे जिन्होंने ट्रेनों की आवाजाही को पूरी तरह रोक दिया। कई स्टेशनों पर ट्रेनें रुकी रहीं।
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में भी व्यापक असर
दिल्ली : सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति कम रही। बस सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित रहीं।
पश्चिम बंगाल : CITU और AITUC के कार्यकर्ताओं ने कोलकाता में रैली निकाली।
महाराष्ट्र : मुंबई में BEST की बसें प्रभावित रहीं, साथ ही कई औद्योगिक इकाइयों में कामकाज ठप रहा।
तमिलनाडु : चेन्नई में श्रमिक संगठनों ने बंद के समर्थन में विरोध मार्च निकाला।
छात्र और किसान संगठन भी समर्थन में उतरे
भारत बंद को केवल ट्रेड यूनियनों का समर्थन नहीं मिला, बल्कि कई छात्र संगठन और किसान संगठन भी मैदान में उतरे। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और किसान संगठन AIKS के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त प्रदर्शन किए।
सार्वजनिक जीवन पर असर
- स्कूल-कॉलेजों में छुट्टियाँ
- औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
- परिवहन सेवाओं में ठप
- रेलवे और बस सेवाएं बाधित
- कई राज्यों में इंटरनेट पर अस्थायी रोक
- बाजारों में सन्नाटा, व्यापारिक संगठनों का मिला-जुला रुख
सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने भारत बंद को अनुचित बताते हुए कहा कि “जनता के हित में बाधा डालना एक गलत तरीका है। सरकार हर स्तर पर बातचीत को तैयार है।” हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक वार्ता की घोषणा नहीं हुई है।
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