कैसे बना हमारा राष्ट्रीय ध्वज ? भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का डिज़ाइन किसने बनाया? जानें पूरी खबर
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास, पिंगली वेंकैया के योगदान और 22 जुलाई 1947 को इसे राष्ट्रीय ध्वज घोषित करने की पूरी कहानी जानें।

Indian Flag In History : 22 जुलाई 1947 भारत के इतिहास में एक ऐसा दिन है, जिसे हर भारतीय को गर्व के साथ याद रखना चाहिए। इसी दिन संविधान सभा ने तिरंगे को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस ध्वज के पीछे एक फौजी, देशभक्त और बहुभाषाविद का जुनून और तपस्या छिपी है? इस महान व्यक्ति का नाम है – पिंगली वेंकैया ।
एक सौ साल पुरानी कहानी
भारत का राष्ट्रीय ध्वज केवल तीन रंगों की पट्टियों का मेल नहीं है, यह देश की एकता, विविधता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। तिरंगे का इतिहास 100 साल से भी पुराना है और इसके निर्माण के पीछे पिंगली वेंकैया का अथक प्रयास रहा है।
कौन थे पिंगली वेंकैया?
- जन्म: 2 अगस्त 1876, मछलीपटनम, आंध्र प्रदेश
- शिक्षा: भूगर्भविज्ञान में डिप्लोमा (मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज)
- उपनाम: "डायमंड वेंकैया", हीरे की खनन में विशेषज्ञ
- भाषाज्ञान: जापानी, हिंदी, उर्दू समेत कई भाषाओं मेंये पारंगत
- पेशा: फौजी, शिक्षक, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी
वेंकैया बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, जिन्होंने आजादी के आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तिरंगे का पहला रूप
1921 में पिंगली वेंकैया ने कांग्रेस अधिवेशन (विजयवाड़ा) में एक झंडा प्रस्तुत किया, जिसमें लाल और हरे रंग थे – ये भारत के दो प्रमुख समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे।
महात्मा गांधी की सलाह:
- सफेद रंग जोड़ा गया: भारत के अन्य समुदायों का प्रतिनिधित्व
- चरखा जोड़ा गया: स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
"ए नेशनल फ्लैग फॉर इंडिया" – वेंकैया की अनमोल धरोहर
पिंगली वेंकैया ने 30 से अधिक ध्वज डिजाइनों को दस्तावेज़ीकृत किया और "A National Flag for India" नामक पुस्तक में उनकी महत्ता को समझाया। ये डिजाइन उन्होंने 1918 से 1921 के बीच कांग्रेस को प्रस्तुत किए थे।
22 जुलाई 1947
दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल हॉल में संविधान सभा की बैठक के दौरान वर्तमान तिरंगे (थोड़े बदलाव के साथ) को भारत के आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकृति मिली।
- ऊपर केसरिया: साहस और बलिदान
- बीच में सफेद: सत्य और शांति
- नीचे हरा: समृद्धि और विकास
- बीच में अशोक चक्र: धर्म और न्याय का प्रतीक, 24 आरे वाला
पहली बार तिरंगे का उपयोग
- 1923, नागपुर: विरोध प्रदर्शन में हजारों लोगों ने इसे पहली बार लहराया
- 1940: सुभाष चंद्र बोस ने इसे आजाद हिंद फौज का ध्वज बनाया
- 2002: इंडियन फ्लैग कोड में बदलाव कर आम जनता को ध्वज फहराने की अनुमति मिली
पिंगली वेंकैया का अंतिम समय
इतने महान योगदान के बावजूद, वेंकैया का जीवन अंत में बेहद गुमनामी और गरीबी में बीता।
- निधन: 1963
- 2009: भारत सरकार ने डाक टिकट जारी कर सम्मानित किया
- 2012: मरणोपरांत भारत रत्न की सिफारिश की गई
क्यों गर्व करें हम तिरंगे पर?
तिरंगा सिर्फ एक ध्वज नहीं, हर भारतीय की आत्मा और पहचान का प्रतीक है। पिंगली वेंकैया जैसे देशभक्तों की वजह से आज हम स्वतंत्र हैं और गर्व से तिरंगा लहराते हैं।
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