‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म विवाद: ट्रेलर पर प्रतिबंध की मांग

‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म का ट्रेलर विवादों में, नूपुर शर्मा के बयान और ज्ञानवापी जैसे मुद्दों पर बवाल। मुस्लिम संगठन मांग रहे प्रतिबंध, सेंसर बोर्ड की भूमिका पर सवाल। क्या 11 जुलाई को रिलीज होगी फिल्म? जानें पूरा विवाद।

Jul 6, 2025 - 05:53
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‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म विवाद: ट्रेलर पर प्रतिबंध की मांग
Photo : File Photo

Udaipur Files Film : उदयपुर, राजस्थान में हुए चर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स ( Udaipur Files ) का ट्रेलर रिलीज होते ही विवादों में घिर गया है। 11 जुलाई 2025 को रिलीज होने वाली इस फिल्म के खिलाफ मुस्लिम संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। संगठनों का आरोप है कि फिल्म का ट्रेलर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है और यह सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है। ट्रेलर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मुहम्मद साहब पर दिए गए विवादित बयान को शामिल किया गया है, जिसके चलते उन्हें 2022 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। इसके अलावा, फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का केंद्र और वहां के उलेमाओं को निशाना बनाए जाने की बात सामने आई है, जिसे मुस्लिम समुदाय ने आपत्तिजनक बताया है।

Udaipur Files ट्रेलर में क्या है विवादित?

उदयपुर फाइल्स का ट्रेलर कन्हैयालाल हत्याकांड की घटना को केंद्र में रखकर बनाया गया है, जिसमें एक विशेष धार्मिक समुदाय को कथित तौर पर नकारात्मक रूप में चित्रित किया गया है। मुस्लिम संगठनों का दावा है कि ट्रेलर में पैगंबर मुहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां शामिल हैं, जो धार्मिक भावनाओं को आहत करती हैं। इसके अलावा, फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का अड्डा बताया गया है, जिसे लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों ने कड़ा ऐतराज जताया है। संगठनों का कहना है कि यह फिल्म नफरत फैलाने और एक समुदाय को बदनाम करने का प्रयास करती है। 

ट्रेलर में ज्ञानवापी मस्जिद जैसे संवेदनशील मुद्दों का भी जिक्र है, जो वर्तमान में वाराणसी की जिला अदालत और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। आलोचकों का मानना है कि ऐसे मुद्दों को फिल्म में शामिल करना न केवल सामाजिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है, बल्कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (धर्म, जाति आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन भी करता है।

प्रतिबंध की मांग और कानूनी कार्रवाई

फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होने के बाद से ही सोशल मीडिया पर #BanUdaipurFiles और #StopHateCinema जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात हाईकोर्ट में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर करने की घोषणा की है। संगठन का कहना है कि यह फिल्म न केवल देश के सांप्रदायिक माहौल को खराब कर सकती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचा सकती है। 

सूरजपोल थाना पुलिस, उदयपुर ने ट्रेलर के बाद सोशल मीडिया पर फिल्म के बहिष्कार का संदेश वायरल करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। इसके साथ ही, कई संगठनों ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB), सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) और गृह मंत्रालय से फिल्म पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

सेंसर बोर्ड की भूमिका

फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाणपत्र प्राप्त हो चुका है, और यह 11 जुलाई 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है। हालांकि, सेंसर बोर्ड के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कंटेंट की संवेदनशीलता को नजरअंदाज किया है। पहले भी द कश्मीर फाइल्स और द केरल स्टोरी जैसी फिल्मों पर सेंसर बोर्ड के रवैये को लेकर विवाद हो चुका है, जहां बोर्ड ने कथित तौर पर प्रोपेगैंडा और नफरत फैलाने वाले कंटेंट को मंजूरी दी थी। 

फिल्म के समर्थकों का पक्ष

फिल्म के समर्थकों का कहना है कि उदयपुर फाइल्स कन्हैयालाल हत्याकांड की सच्चाई को सामने लाने का प्रयास है। उनका दावा है कि यह फिल्म धार्मिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के खिलाफ एक जागरूकता अभियान है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने इसे हिंदू समुदाय की आवाज बताया है और इसे द कश्मीर फाइल्स की तरह एक प्रभावशाली फिल्म करार दिया है।

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Jitendra Meena Journalist, Editor ( Mission Ki Awaaz )