माता रमाबाई अंबेडकर : त्याग, सेवा और संघर्ष की प्रतीक

माता रमाबाई अंबेडकर (7 फरवरी 1898 – 27 मई 1935) डॉ. भीमराव अंबेडकर की पत्नी थीं। उन्होंने अपने त्याग, संघर्ष और निस्वार्थ सेवा से सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

May 27, 2025 - 23:53
May 27, 2025 - 23:56
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माता रमाबाई अंबेडकर : त्याग, सेवा और संघर्ष की प्रतीक

प्रारंभिक जीवन

माता रमाबाई अंबेडकर का जन्म 7 फ़रवरी 1898 को महाराष्ट्र के वणंद नामक ग्राम में हुआ था। उनका जन्म एक निर्धन दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम भीकू वालंगकर तथा माता का नाम रुक्मिणी था। बचपन में ही माता-पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उन्हें उनके मामा मुंबई ले आए। वहाँ उन्होंने भायखला की एक झोपड़पट्टी में रहकर संघर्षमय जीवन आरंभ किया।


विवाह एवं गृहस्थ जीवन

सन् 1906 में मात्र 9 वर्ष की आयु में उनका विवाह 15 वर्षीय भीमराव अंबेडकर से हुआ। यह विवाह सामाजिक दृष्टि से असामान्य था, किन्तु उनके वैवाहिक जीवन में आपसी प्रेम, सहयोग और विश्वास की गहराई थी।

रमाबाई और भीमराव अंबेडकर के पाँच संतानें हुईं, जिनमें से केवल यशवंत जीवित रहे। शेष चार संतानों का असमय निधन रमाबाई के लिए अत्यंत पीड़ादायक रहा, परंतु उन्होंने कभी धैर्य नहीं खोया।


संघर्ष और समर्पण

जब डॉ. भीमराव अंबेडकर उच्च शिक्षा के लिए विदेश (अमेरिका और लंदन) गए, तब रमाबाई ने पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ली। उन्होंने अत्यंत निर्धनता में जीवन यापन किया — कभी उपले बेचे, तो कभी घरों में काम किया, किंतु अपने पति के सपनों में बाधा नहीं आने दी।

रमाबाई का जीवन अत्यंत साधारण था, परंतु उनके त्याग और निस्वार्थ सेवा ने डॉ. अंबेडकर को एक महान व्यक्तित्व बनाने में अमूल्य योगदान दिया।


निधन और श्रद्धांजलि

माता रमाबाई का 27 मई 1935 को मुंबई स्थित "राजगृह" नामक निवास में निधन हो गया। उनकी मृत्यु से डॉ. अंबेडकर को गहरा आघात पहुँचा। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'थॉट्स ऑन पाकिस्तान' रमाबाई की स्मृति को समर्पित की।

डॉ. अंबेडकर ने उनके बारे में कहा था:

"यदि रमाबाई न होतीं, तो मैं कुछ भी न कर पाता।"


निष्कर्ष

माता रमाबाई अंबेडकर भारतीय नारी के त्याग, धैर्य और आत्मबल की प्रतीक थीं। उन्होंने नारी जीवन को केवल घर तक सीमित न रखकर, एक संघर्षशील और प्रेरणादायी रूप में प्रस्तुत किया। वे भले ही सार्वजनिक मंचों पर नहीं आईं, पर उनके जीवन का हर पल समाज परिवर्तन में लगा था।

उनकी स्मृति में भारतभर में कई संस्थान, मूर्तियाँ और योजनाएँ चलाई जाती हैं। उनका जीवन आज भी भारतीय नारी के लिए प्रेरणा है।


लेख का सारांश

  • नाम: रमाबाई अंबेडकर

  • जन्म: 7 फ़रवरी 1898, वणंद, महाराष्ट्र

  • विवाह: डॉ. भीमराव अंबेडकर से, वर्ष 1906

  • संतानें: पाँच (एक पुत्र यशवंत जीवित रहे)

  • निधन: 27 मई 1935, मुंबई

  • मुख्य विशेषता: डॉ. अंबेडकर के सामाजिक आंदोलन की मौन स्तंभ

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