दैनिक भास्कर के पत्रकार राजेश साहू का लोकसभा चुनाव का सफर, 60 दिन में उत्तरप्रदेश के ज्यादातर जिलों में पहुंचे
उत्तरप्रदेश ( लोकसभा चुनाव 2024 ) । दैनिक भास्कर ( Dainik Bhaskar ) के पत्रकार राजेश साहू ( Rajesh Sahu) ने कई दिनों तक लोगों के बीच पहुंचकर उनकी राय जानी कि वो अबकी बार किसकी सरकार चाहते है ?
राजेश साहू लिखते है " एक उभरते हुए पत्रकार को क्या चाहिए? मेरी नजर में सिर्फ मौका। दैनिक भास्कर ने मुझे यह मौका हर बार दिया। आज हमारी चुनावी रथ यात्रा समाप्त हो रही। आज से 60 दिन पहले यानी 3 अप्रैल को मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं थी। हमारे नेशनल एडिटर ओम सर ने कहा, हम पूरे यूपी में एक चुनावी रथ निकालने जा रहे। तुम जाओगे? तुम्हारे लिए यह एकदम अलग अनुभव होगा।
यह मेरे लिए एक्साइटमेंट भरा था। आखिर हम कैसे मौका छोड़ते। हमने हां कर दिया। 5 अप्रैल की सुबह लखनऊ छोड़ दिया। पहुंच गए पीलीभीत। जनता के बीच पहला प्रोग्राम किया अच्छा रिस्पॉन्स आया। इसके बाद रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, मुजफ्फरनगर होते हुए करीब 20 दिन में पश्चिमी यूपी के लगभग जिले पहुंच गए ।
हम कॉलेज गए युवाओं से बात की। बाजार में व्यापारियों से मिले। लेबर अड्डों पर मजदूरों का हाल जाना। मतलब हम हर जिले में उन लोगों के बीच पहुंचे जो सियासी समीकरण तय करते हैं। जहां मौका लगा वहां प्रत्याशियों का भी इंटरव्यू कर लिया।
ये सब आसान नहीं था। हम सुबह 5 बजे उठते थे। रात में 12 बजे सोते थे। दिन भर लोगों से बात। एक जिले से दूसरे जिले का सफर। रात में लोगों ने जो कहा उसकी पूरी स्टोरी तैयार करते। इस दो महीने में करीब 7 हजार किलोमीटर का सफर तय किया।
कई जगह प्रोग्राम के बीच ऐसी स्थिति बनी कि जुबानी जंग तेज हो गई। बिजनौर में तो नेता और कार्यकर्ता के बीच मार-पीट की स्थिति बन गई। बदायूं जैसे शहर में होटल की कमी से जूझना पड़ा तो कहीं अच्छा खाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। सीतापुर में भाई चंदन ने वो खाना खिलाया कि तबियत खुश हो गई।
अब सवाल है कि राजेश साहू जनता के बीच गए तो देखा क्या ? इस पर राजेश लिखते है " हमने यही देखा कि तैयारी करने वाला युवा बेरोजगारी से परेशान है। इसमें वो लोग भी हैं जो बीजेपी को वोट देते हैं। हमने यह देखा कि महिलाएं सरकार मुफ्त राशन और समूह से मिलने वाली मदद के चलते खुश हैं।" मुस्लिम-यादव एकतरफा इंडिया गठबंधन की तरफ हैं। जाटव बिरादरी बहन जी के लिए मर-मिटने के लिए तैयार है।
इन सबके बीच सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार की वाहवाही सुनी । एनकाउंटर पर नाराजगी से ज्यादा गौरव जैसी बात सामने आई। मोदी नहीं तो कौन का सवाल बार-बार पूछा गया।
इस पूरी यात्रा में ऑफिस के सीनियर, दफ्तर के सहयोगी और परिवार का सपोर्ट शानदार रहा। नई-नई शादी हुई थी इसलिए राजेश की पत्नी शिवानी साहू ( Shivani Sahu )की नाराजगी की भी चिंता थी लेकिन उन्होंने भी भरपूर सहयोग किया।
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