प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे साइप्रस: भारतीय समुदाय से मिले, व्यापार बढ़ाने पर हुई चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दिवसीय विदेश दौरे की शुरुआत करते हुए रविवार को साइप्रस पहुंचे। यहां निकोसिया एयरपोर्ट पर साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने उनका रेड कार्पेट पर स्वागत किया। इसके बाद दोनों नेताओं ने आपसी व्यापार, रणनीतिक सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।
भारतीय समुदाय से मुलाकात
पीएम मोदी लिमासोल शहर पहुंचे जहां उन्होंने होटल के बाहर एकत्र भारतीय समुदाय से मुलाकात की। उन्होंने बच्चों को स्नेह दिया और ‘भारत माता की जय’ के नारे भी लगाए। समुदाय के लोगों में उत्साह और गर्व की भावना देखने को मिली। कई भारतीय मूल के लोगों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात को ‘जीवन भर याद रखने वाला पल’ बताया।
व्यापार और रणनीति पर चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति के साथ भारत-साइप्रस CEO फोरम की बैठक में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा,
“भारत आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुंचने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है। साइप्रस को यूरोप का प्रवेश द्वार माना जाता है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं।”
वर्तमान में भारत और साइप्रस के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 150 मिलियन डॉलर है, जिसे और बढ़ाने पर सहमति बनी।
विदेश नीति और रणनीतिक संकेत
इस दौरे के माध्यम से भारत ने कई रणनीतिक संकेत दिए:
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IMEC (इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर): साइप्रस इस कॉरिडोर का हिस्सा है जो भारत को यूरोप से जोड़ता है। यह चीन के BRI का रणनीतिक जवाब है।
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तुर्किये को संदेश: तुर्किये ने 1974 में उत्तरी साइप्रस पर अवैध कब्जा किया था और पाकिस्तान मिलकर उसे मान्यता दिलवाने की कोशिश करता रहा है। पीएम मोदी का दौरा तुर्किये-पाक गठजोड़ को एक स्पष्ट संदेश है।
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ऑपरेशन सुकून का सहयोग: 2006 में लेबनान संकट के दौरान साइप्रस ने भारत की मदद की थी। उस भूमिका को मोदी ने याद किया और कृतज्ञता जताई।
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कश्मीर मुद्दे पर समर्थन: साइप्रस ने कश्मीर पर भारत का समर्थन किया है और 2026 में जब वह EU परिषद का अध्यक्ष बनेगा, तब भी भारत के पक्ष को आगे बढ़ाने का भरोसा दिया है।
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UNSC और NSG में समर्थन: साइप्रस लगातार भारत की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दावेदारी का समर्थन करता रहा है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री मोदी साइप्रस का दौरा करने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले इंदिरा गांधी (1983) और अटल बिहारी वाजपेयी (2002) ने साइप्रस का दौरा किया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2018 और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2022 में साइप्रस की यात्रा की थी।
आगे का कार्यक्रम
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16-17 जून: प्रधानमंत्री मोदी कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
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18 जून: वे क्रोएशिया जाएंगे, यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली क्रोएशिया यात्रा होगी।
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19 जून: भारत वापसी।
जानिए साइप्रस के बारे में
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राजधानी: निकोसिया
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स्थिति: पूर्वी भूमध्य सागर में, तुर्की के दक्षिण में स्थित
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स्वतंत्रता: 1960 में ब्रिटेन से
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प्रमुख संघर्ष: 1974 में तुर्की द्वारा एक-तिहाई इलाके पर कब्जा, जिसे ‘उत्तरी साइप्रस’ कहा जाता है।
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अंतरराष्ट्रीय मान्यता: उत्तरी साइप्रस को सिर्फ तुर्किये मान्यता देता है, बाकी विश्व इसे अवैध कब्जा मानता है।
संपर्क सूत्र:
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट कर साइप्रस में मिले प्रेम और समर्थन के लिए भारतीय समुदाय को धन्यवाद कहा है और भरोसा दिलाया कि भारत-साइप्रस संबंध और मजबूत होंगे।
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