गुर्जर आरक्षण को लेकर सरकार और संघर्ष समिति आमने-सामने, 7 प्रमुख मांगों पर हुआ पत्राचार

जयपुर/करौली, 8 जून 2025 –
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति और राजस्थान सरकार के बीच एक बार फिर से आरक्षण को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई है। 27 मई 2025 को विजय सिंह बैंसला के नेतृत्व वाली संघर्ष समिति ने राज्य सरकार को 7 प्रमुख बिंदुओं को लेकर एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें MBC आरक्षण, देव नारायण योजना और लंबित मुकदमों की वापसी जैसे विषय शामिल थे।
संघर्ष समिति की 7 प्रमुख मांगें:
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गुर्जर आंदोलन के लंबित मुकदमे वापस लिए जाएं
सरकार की लिखित सहमति के बावजूद अभी तक मुकदमों की वापसी पूरी नहीं हुई है। कई आंदोलनकारियों पर अभी भी गंभीर धाराओं में मामले लंबित हैं। -
MBC का 5% आरक्षण केवल कागजों तक सीमित
लागू तो किया गया है, लेकिन ‘रोटेशन प्रणाली’ के कारण चयनित अभ्यर्थियों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। -
देवनारायण योजना का लाभ ठप
स्कूल, छात्रवृत्तियाँ और बालिकाओं के लिए शैक्षणिक सहायता जैसी योजनाएं निष्क्रिय हैं। गुरुकुल विद्यालयों में MBC के छात्र अब तक वंचित हैं। -
MBC आरक्षण संचालन की अस्पष्ट विधि
जयपुर हाईकोर्ट में चल रहे प्रकरण के बावजूद सरकार ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं, जिससे कई युवाओं को OBC की जगह MBC का लाभ नहीं मिल पा रहा है। -
नवीन अनुशंसा के माध्यम से केंद्र सरकार से मान्यता
केंद्र से अनुमति प्राप्त करने हेतु राज्य सरकार को नवीन प्रस्ताव भेजने की मांग की गई है। -
शहीद गुर्जर आंदोलनकारियों के परिजनों को सरकारी नौकरी में अनुकंपा नियुक्ति
अब तक यह वादा अधूरा है। -
233/372/1252 मामलों में लंबित भर्तियों का निस्तारण
वर्षों से लंबित इन भर्तियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
जिला कलेक्टर करौली का जवाब:
8 जून 2025 को करौली की जिला कलेक्टर नीलाभ सक्सेना ने इन बिंदुओं पर राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार सहमति जताई और कार्रवाई के संकेत दिए:
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लंबित मुकदमों की वापसी 2023 की प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी, प्रत्येक जिले में नोडल ऑफिसर नियुक्त किए जाएंगे।
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रेस्टर प्रणाली और लंबित भर्तियों पर 60 दिनों के भीतर विशेष समीक्षा बैठक होगी।
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MBC आरक्षण संचालन की विधि पर समिति का गठन कर 60 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
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शहीद आंदोलनकारियों के परिजनों को शीघ्र अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी।
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देवनारायण योजना पर भी समीक्षा बैठकें होंगी और योजनाएं पुनः संचालित की जाएंगी।
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समिति की अगली बैठक 3 सप्ताह में होगी, जिसमें अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
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राज्य सरकार केंद्र सरकार को नवीन अनुशंसा भेजेगी, ताकि MBC को संवैधानिक मान्यता मिल सके।
निष्कर्ष:
गुर्जर आंदोलन एक बार फिर तेज होने की कगार पर है। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से सकारात्मक संकेत दिए गए हैं, लेकिन धरातल पर अमल और समयसीमा को लेकर अब भी संशय बना हुआ है। यदि सरकार ने तय समय में मांगें नहीं मानीं, तो संघर्ष समिति द्वारा बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।
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