Bihar Assembly Election 2025: महागठबंधन की चौथी बैठक 12 जून को तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में पटना में
Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025 की तैयारियों को लेकर महागठबंधन की चौथी बैठक 12 जून को तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) के सरकारी आवास पर आयोजित होगी, इस बैठक में सीट शेयरिंग और मुख्यमंत्री उम्मीदवार के चयन को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा होने की संभावना है।

Bihar Election 2025 । बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर महागठबंधन ने अपनी चौथी बैठक का आयोजन किया है, जो 12 जून को पटना स्थित तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर होगी। इस बैठक की अध्यक्षता RJD नेता तेजस्वी यादव करेंगे, और इसमें महागठबंधन के विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। बैठक में आरजेडी, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (VIP), भाकपा माले, सीपीआई और सीपीएम के नेता मौजूद रहेंगे।
महागठबंधन के लिए यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर चर्चा हो सकती है। इसके अलावा, गठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य भी इस बैठक में शामिल होंगे, जिनकी भूमिका चुनावी रणनीतियों को लेकर अहम मानी जा रही है। इसके साथ ही, विभिन्न उप समितियों के सदस्य भी इस बैठक में भाग लेंगे, ताकि चुनावी मैदान में सामूहिक रूप से एकजुट रणनीति बनाई जा सके।
कौन होगा बिहार का मुख्यमंत्री ?
सबसे बड़ा सवाल महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर बना हुआ है। आरजेडी लगातार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताती आ रही है, लेकिन कांग्रेस इस पर अपनी स्थिति साफ करने में पीछे हट रही है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने फिलहाल तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पद के लिए नाम पर सहमति नहीं जताई है, और उन्हें लगता है कि गठबंधन में मुख्यमंत्री पद का नामांकन एक साझा निर्णय से होना चाहिए। यह बैठक इस दृष्टि से भी अहम मानी जा रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा और उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया पर आम सहमति बनाना महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।
गहन चर्चा की संभावना -
बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर आरजेडी और कांग्रेस के नेताओं के बीच गहन चर्चा की संभावना है, जहां दोनों दलों के बीच उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया को लेकर मतभेद साफ तौर पर सामने आ सकते हैं। आखिरकार, महागठबंधन की इस बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी दल एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनावों में बेहतर परिणाम हासिल कर सकें। हालांकि, मुख्यमंत्री पद का विवाद और सीटों की साझेदारी पर सहमति की कमी गठबंधन की रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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