मुंबई हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: ‘आई लव यू’ को यौन उत्पीड़न से अलग किया गया

मुंबई हाई कोर्ट ने 'आई लव यू' को यौन उत्पीड़न से अलग करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि बिना यौन इरादे के कहे गए शब्द उत्पीड़न नहीं माने जाएंगे। जानें इस फैसले की पूरी जानकारी।

Jul 2, 2025 - 21:51
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मुंबई हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: ‘आई लव यू’ को यौन उत्पीड़न से अलग किया गया
Bombay High court

मुंबई हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि किसी महिला को 'आई लव यू' कहना अब यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आएगा, जब तक कि यह कोई यौन इरादे वाला आचरण न हो। कोर्ट ने यह टिप्पणी नागपुर खंडपीठ में सुनवाई के दौरान की, जहां एक व्यक्ति को नाबालिग लड़की का पीछा करने और यौन उत्पीड़न के आरोप में सजा सुनाई गई थी।

यह था पूरा मामला - 

यह मामला एक व्यक्ति द्वारा नाबालिग लड़की का पीछा करने और उसके साथ अशालीन व्यवहार करने से संबंधित था। उस पर पॉक्सो कानून (Protection of Children from Sexual Offences Act) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आरोप लगाए गए थे। निचली अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी, लेकिन आरोपी ने इस फैसले को चुनौती दी थी।

कोर्ट का फैसला:

मुंबई हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी की सजा रद्द कर दी और कहा कि "आई लव यू" कहना, अगर यह किसी महिला या लड़की से बिना किसी यौन इरादे के कहा जाए, तो उसे यौन उत्पीड़न के रूप में नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के शब्द केवल भावनाओं को व्यक्त करने के रूप में होते हैं, और यह तब तक यौन उत्पीड़न नहीं बनते जब तक उनमें कोई अपमानजनक या यौन इरादा न हो।

न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फलके ने यह भी कहा कि अदालत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी शब्द को यौन उत्पीड़न के रूप में नहीं लिया जाए, जब तक कि वह स्पष्ट रूप से यौन गतिविधियों की ओर इशारा न करता हो।

पोक्सो एक्ट और IPC के तहत सजा का संदर्भ:

इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप तय किए गए थे, क्योंकि पीड़िता नाबालिग थी। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि व्यक्ति का आचरण शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न की सीमा तक नहीं पहुंचता है, तो उसे यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता।

कोर्ट की टिप्पणियाँ:

कोर्ट ने यह भी कहा कि "आई लव यू" जैसी सामान्य बातें भावनाओं की अभिव्यक्ति के रूप में होती हैं, और इनका कोई गलत मतलब निकालना उचित नहीं है, जब तक कि किसी महिला या लड़की के प्रति कोई स्पष्ट यौन उत्पीड़न न हो। हालांकि, अगर शब्दों का इस्तेमाल अपमानजनक या उत्पीड़न के उद्देश्य से किया जाता है, तो यह अलग मामला हो सकता है।

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Jitendra Meena Jitendra Meena is a senior journalist and writer, he is also the Editor of Mission Ki Awaaz, Jitendra Meena was born on 07 August 1999 in village Gurdeh, located near tehsil Mandrayal of Karauli district of Rajasthan ( India ). Contact Email : Jitendra@MissionKiAwaaz.in