इजराइल ने ईरान के 100 ठिकानों पर 330 बम गिराए: नतांज लैबोरेट्री क्यों बनी हमले का केंद्र?
इजराइल ने ईरान के छह शहरों में एक साथ किया हमला IRGC कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए निशाने पर थी नतांज की भूमिगत परमाणु लैबोरेट्री यूरेनियम संवर्धन को रोकने की कोशिश

13 जून 2025 की सुबह इजराइल ने ईरान पर बड़ा हवाई हमला करते हुए 200 विमानों से 100 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया। इन हमलों में सबसे अहम था नतांज, जहां ईरान की सबसे बड़ी अंडरग्राउंड न्यूक्लियर फैसिलिटी है।
इजराइली हमले में IRGC के शीर्ष कमांडर हुसैन सलामी, परमाणु वैज्ञानिक मोहम्मद मेहदी तेहरांची और फरदून अब्बासी की मौत की पुष्टि हुई है। सेना के प्रमुख मोहम्मद बाघेरी के मारे जाने की भी रिपोर्ट्स हैं। राजधानी तेहरान और नतांज में इमारतों को भारी नुकसान हुआ है।
हमला क्यों हुआ?
इजराइल का मकसद ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने यूरेनियम को 87% तक शुद्ध कर लिया था – जबकि परमाणु बम के लिए 90% की जरूरत होती है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान के पास मार्च 2025 तक 275 किलोग्राम संवर्धित यूरेनियम था।
सेंट्रीफ्यूज टेक्नोलॉजी क्या है?
U-235 को अलग करने के लिए हाई-स्पीड सेंट्रीफ्यूज मशीनें इस्तेमाल होती हैं, जो भारी आइसोटोप (U-238) को बाहर और हल्के (U-235) को केंद्र की ओर खींचती हैं। बार-बार दोहराए जाने पर U-235 की शुद्धता बढ़ती है – और यही बम बनाने में मदद करता है।
पहले भी हुए हमले
2010 में Stuxnet वायरस से सायबर हमला, 2021 में लैब में तोड़फोड़, और 2024 में ड्रोन अटैक के ज़रिए इजराइल और अमेरिका पहले भी ईरान के प्रोग्राम को बाधित कर चुके हैं।
निष्कर्ष
इजराइल का यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चेतावनी है। ईरान ने भी पलटवार की धमकी दी है। ऐसे में सवाल ये है – क्या यह न्यूक्लियर संघर्ष की शुरुआत है?
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