करौली: आज़ादी के 75 साल बाद भी उपेक्षित है तीन बड़ से रोहणी कॉलोनी तक का ऐतिहासिक मार्ग

करौली ज़िले के ऐतिहासिक राजरानी पैलेस (तीन बड़) से लेकर वार्ड नंबर 08 स्थित रोहणी कॉलोनी तक झील के हार की ओर जाने वाला मुख्य मार्ग, आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी बदहाली और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यह मार्ग न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आज भी हजारों स्थानीय निवासियों की जीवनरेखा बना हुआ है।
इस मार्ग की वर्तमान चौड़ाई लगभग 25 से 30 फीट है, लेकिन इसकी हालत जर्जर बनी हुई है। यह मार्ग करौली के राजा-महाराजाओं के जमाने का इकलौता मुख्य संपर्क मार्ग था, लेकिन आज इसकी मरम्मत और चौड़ीकरण को लेकर नगर परिषद, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
निवासियों की गुहार अनसुनी
रोहणी कॉलोनी के निवासियों ने कई बार जिला कलेक्टर, एसडीएम और नगर परिषद करौली को ज्ञापन सौंपे, शिकायतें दर्ज कराईं, और यहां तक कि नगर परिषद कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन भी किया। बावजूद इसके अब तक न तो मार्ग की मरम्मत हुई और न ही चौड़ीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई।
बरसात में हालात और बदतर
वर्षा ऋतु शुरू होते ही इस मार्ग की स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। कीचड़, जलभराव और टूटे रास्ते के चलते बच्चों का स्कूल जाना और बीमार व्यक्तियों को अस्पताल ले जाना तक मुश्किल हो जाता है। कॉलोनीवासियों के मुताबिक, स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि कई लोग अपने घर और ज़मीन बेचकर कॉलोनी से पलायन कर चुके हैं या कर रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर उठते सवाल
एक ओर सरकार "स्मार्ट सिटी" और "डिजिटल इंडिया" जैसे अभियानों की बात करती है, वहीं दूसरी ओर करौली जैसे ऐतिहासिक शहर में बुनियादी सड़कों की स्थिति नारकीय बनी हुई है। यह सिर्फ स्थानीय प्रशासन की विफलता ही नहीं, बल्कि आमजन की उम्मीदों का निरादर भी है।
निवासियों की मांग
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मार्ग का तत्काल सर्वे और मुआयना कर सड़क निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाए।
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चौड़ाई के अनुसार उचित योजना बनाई जाए ताकि भविष्य में ट्रैफिक का दबाव सह सके।
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नियमित रूप से जलनिकासी की व्यवस्था हो ताकि बरसात में जलभराव की स्थिति ना बने।
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