भरतपुर जनाना अस्पताल में हाई-रिस्क डिलीवरी के बाद जुड़वां बेटों को दिया जन्म, महिला की बची जान

भरतपुर स्थित राजकीय जनाना अस्पताल में चिकित्सकों ने एक महिला की जटिल एवं हाई-रिस्क डिलीवरी को सफल बनाकर उसकी व जुड़वां नवजात बच्चों की जान बचाई। यह मामला नगला परशुराम निवासी 25 वर्षीय बुलबुल पत्नी भोलू का है, जो अपने पहले प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती हुई थी।
महिला को 3 जून को जनाना अस्पताल लाया गया था। वह अर्द्धचेतन (बेहोशी जैसी) स्थिति में थी और उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल केवल 30% रह गया था। डॉक्टरों ने जांच में पाया कि हाई ब्लड प्रेशर के कारण उसके फेफड़ों में पानी भर गया था, जिससे सांस लेने में गंभीर परेशानी हो रही थी। ऐसे में उसे दूसरे अस्पताल में रेफर करना जानलेवा साबित हो सकता था।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. वैभव शर्मा व एनेस्थेसिया विशेषज्ञ डॉ. अर्पित सिंघल ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तुरंत ऑपरेशन का फैसला लिया। परिजनों की सहमति के बाद, डॉ. वैभव शर्मा, डॉ. प्रियंका जोशी, डॉ. जितेंद्र सिंह, डॉ. पल्लवी शर्मा, नर्सिंग ऑफिसर उमेश शर्मा व दीपेंद्र सिंह की टीम ने मात्र आधे घंटे में सफल ऑपरेशन कर प्रसूता को जुड़वां पुत्रों को सुरक्षित जन्म दिलाया।
हालांकि ऑपरेशन के बाद महिला को सांस लेने में परेशानी बनी रही। इसलिए उसे तुरंत आरबीएम अस्पताल के आईसीयू में 48 घंटे वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों की सतत निगरानी और उपचार से उसे होश आया और बाद में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया।
7 जून को उसे जनाना अस्पताल में फिर से शिफ्ट किया गया, जहां वह अगले पांच दिनों तक भर्ती रही। 12 जून को जच्चा-बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ पाए जाने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. वैभव शर्मा ने बताया कि यह केस अत्यंत जोखिमभरा था, लेकिन समय पर निर्णय और पूरी टीम के सामूहिक प्रयास से प्रसूता और दोनों नवजातों की जान बच पाई। अस्पताल प्रशासन ने टीम की कार्यशैली और समर्पण की प्रशंसा की है।
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