संगठन अधूरा, इंतजार पूरा नहीं: 6 महीने बीतने के बाद भी अधूरी है प्रदेश बीजेपी की टीम

जयपुर: राजस्थान भाजपा में संगठन पर्व की शुरुआत हुए करीब साढ़े 6 महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक संगठन की पूरी संरचना तैयार नहीं हो पाई है। 2 दिसंबर 2024 को शुरू हुए इस निर्वाचन अभियान का उद्देश्य बूथ से लेकर प्रदेशाध्यक्ष तक चुनावी प्रक्रिया को पूरा करना था। हालांकि 22 फरवरी 2025 को मदन राठौड़ के प्रदेशाध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के बाद यह माना जा रहा था कि बाकी नियुक्तियाँ जल्द हो जाएंगी, लेकिन अब तक संगठन अधूरा ही है।
60 मंडल और 4 जिलाध्यक्ष अब भी नियुक्त नहीं
प्रदेश में 1137 मंडलों में से करीब 60 मंडलों के अध्यक्षों की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं, 4 जिलों – दौसा, झुंझुनूं, धौलपुर और जोधपुर देहात उत्तर – में भी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति अधर में है।
वहीं, अब तक किसी जिले या मंडल में कार्यकारिणी का गठन भी नहीं हुआ है। इससे प्रदेश भाजपा का ढांचा आधा-अधूरा होकर काम कर रहा है।
???? चार जिलों में पेंच फंसे – जमीनी स्तर पर सहमति नहीं
दौसा
भाजपा यहाँ किसी ब्राह्मण नेता को जिलाध्यक्ष बनाना चाहती है, लेकिन मंत्री किरोड़ीलाल मीणा और स्थानीय विधायकों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। दौसा में अभी तक केवल 13 मंडल अध्यक्ष बने हैं, जिनमें से दो को लेकर विवाद भी जारी है।
झुंझुनूं
यहां भाजपा मूल ओबीसी चेहरा चाहती है, लेकिन जाट बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से संतुलन साधना मुश्किल हो गया है। विधायक राजेन्द्र भांबू और पूर्व प्रत्याशी बबलू चौधरी के बीच तनातनी के चलते मामला अटका हुआ है।
धौलपुर
पार्टी के पास जिले में कोई प्रभावशाली चेहरा नहीं है और पिछले 20 वर्षों में केवल एक सीट जीती है। यहां पार्टी एससी या ओबीसी नेता को जिलाध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है जो संगठन को मजबूती दे सके।
जोधपुर देहात उत्तर
यहां पहले से तय नाम को स्थानीय नेताओं ने बाहरी बताकर विरोध किया, जिससे मामला रुक गया।
कार्यकारिणी गठन में देरी: वजह क्या है?
बीजेपी की तरफ से यह कहा जा रहा है कि जब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन नहीं होता, तब तक कार्यकारिणी की सूची को अंतिम मुहर नहीं लगाई जा सकती। इसके चलते निचले स्तर की घोषणाएं भी लंबित हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि
“मदन राठौड़ को लगभग 11 महीने हो गए, लेकिन उन्होंने अब तक अपनी खुद की टीम नहीं बनाई है। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।”
‘जल्द होगी घोषणा’, पर समय सीमा तय नहीं
प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ हर बार मीडिया से यही कहते हैं कि
“जल्द ही नई टीम का ऐलान किया जाएगा।”
लेकिन यह "जल्द" अब महीनों से लंबित है।
संगठन के अधूरे ढांचे से जमीनी कार्य प्रभावित
जिलाध्यक्षों और मंडल अध्यक्षों के बिना कार्यकारिणी के गठन से
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संगठनात्मक संवाद कमजोर हो रहा है
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बूथ स्तर तक योजना क्रियान्वयन प्रभावित है
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कार्यकर्ताओं में नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति है
निष्कर्ष
प्रदेश भाजपा में संगठन पर्व का उत्साह अब प्रतीक्षा और असंतोष में बदलता नजर आ रहा है। यदि शीघ्र ही पूरी टीम का गठन नहीं हुआ, तो पार्टी को आगामी चुनावों में संगठनात्मक मजबूती की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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