करौली जिले के डांग क्षेत्र में भूजल स्तर बढ़ाना होगा, फिर नहीं होगी पानी की समस्या
भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राजस्थान के करौली जिले के डांग क्षेत्र जैसे कई क्षेत्रों में पानी की समस्या हमेशा बनी रहती है। भूजल स्तर लगातार नीचे चले जाने के कारण गर्मियों के दिनों में यह समस्या अपना विकराल रूप धारण कर लेती है। पानी की समस्या को दूर करने के लिए जल संरक्षण अतिआवश्यक है।

करौली । राजस्थान सरकार ने हाल ही में गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर अर्थात 5 जून को वंदे गंगा जल संरक्षण - जन अभियान की शुरुआत की है इसके तहत राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेशभर में जल संरक्षण के व्यापक कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। राजस्थान सरकार इस अभियान के तहत जल संरक्षण के साधनों जैसे तालाब, पोखर, प्राचीन बावड़ियां, नदी आदि की साफ सफाई एवं मरम्मत कार्य, जल संरक्षण हेतु जागरूकता, जल संरक्षण हेतु साधन तैयार करना आदि कार्य किए जाएंगे। विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राजस्थान के करौली जिले के डांग क्षेत्र जैसे कई क्षेत्रों में पानी की समस्या हमेशा बनी रहती है। भूजल स्तर लगातार नीचे चले जाने के कारण गर्मियों के दिनों में यह समस्या अपना विकराल रूप धारण कर लेती है। पानी की समस्या को दूर करने के लिए जल संरक्षण अतिआवश्यक है।
राजस्थान सरकार के भू जल संसाधन विभाग के पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों के अनुसार डांग क्षेत्र, जिला करौली का जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है अर्थात ये कहें कि ये क्षेत्र ड्राई जोन (सूखाग्रस्त) पहुंच चुका है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। राजस्थान सरकार द्वारा चलाए गए वंदे गंगा जल संरक्षण - जन अभियान को इस क्षेत्र में सचमें कारगार साबित करना है तो इस क्षेत्र में पहले जल संरक्षण के लिए साधन तैयार करने होंगे। पिछले कुछ वर्षों में देखा जाए तो इस क्षेत्र में बारिश हमेशा औसत से अधिक रही है अर्थात् ये कह सकते हैं कि अच्छी बारिश हुई है लेकिन जल संरक्षण के साधनों जैसे बांध, तालाब आदि के बिना बारिश का पानी व्यर्थ बहकर चला जाता है जिसकी वजह से पानी की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
बांध बनाने होंगे -
राजस्थान सरकार के वंदे गंगा जल संरक्षण - जन अभियान के तहत इस क्षेत्र में नींदर बांध का विस्तार सहित अन्य बांध बनाने होंगे जिनके लिए चंदेलीपुरा - नवलपुरा, बुगड़ार, लांगरा, गड़ी गांव, बाटदा, भांकरी, गुरदह, बहादर पुर आदि ग्राम पंचायतों के क्षेत्र में स्थान उपलब्ध है जहां पानी की आवक भी है एवं बांध बनाने के लिए उपयुक्त जगह भी है।
चंबल नदी जो कि इस क्षेत्र के बिल्कुल करीब से सैकड़ों वर्षों से अनवरत बह रही है जिसमें बारिश के दिनों में पानी व्यर्थ बहकर चला जाता है इस क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए तैयार किए गए साधन कम बारिश के चलते भर न पाए तो उनको चंबल में बारिश के दिनों में व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी से भरने की व्यवस्था बनाई जाए। इस क्षेत्र में अगर जल संरक्षण के साधन होंगे तो निश्चित ही जल का संरक्षण होगा और जल का संरक्षण होगा तो इस क्षेत्र का जल स्तर ऊपर आयेगा। जल स्तर के बढ़ने से कभी भी इस क्षेत्र में पानी की समस्या नहीं होगी।
लेख - वेदप्रकाश मीना , गांव भांकरी
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